कहानियाँ बच्चों को शिक्षण की तरफ आकर्षित करने का बेहतरीन माध्यम हैं। दुनिया भर में कहानियों की एक लंबी परंपरा रही है। यह कहानियाँ हमने अपनी दादी और नानी से भी खूब सुनी है।

मिलते है हमारे सहयोगी, i-सक्षम से जो बच्चों की साक्षरता के स्तर को बढ़ाने के लिए कहानियो का इस्तेमाल कर रहे है। i-सक्षम बिहार के जमुई और मुंगेर जिले के गांवों में स्थानीय युवाओं को सामुदायिक ट्यूटर सह उद्यमी के रूप में बनाता है जिसे 'सक्षम-मित्र' कहा जाता है। यह सक्षम-मित्र मुंगेर और जमुई गाँव के विद्यालयों में बच्चो को शिक्षा प्रदान करते है।

i-सक्षम संस्था से जुड़े अध्यापक बिहार के मुंगेर गांव में कस्तूरबा गाँधी विद्यालय की बच्चियों तक कहानिया पढ़ने का आनंद ले जा रहा है। मिलते है लक्ष्मी से । लक्ष्मी इस विद्यालय की एक छात्रा है ,जिसे स्कूल आना, किताबों का संग्रह करना और साथी बच्चों के साथ खेलना-खासा पसंद है। लेकिन i-सक्षम के सक्षम मित्रो ने देखा कि लक्ष्मी और उसकी कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियों को किताबे अपने आप पढ़ने में दिक्कत हो रही थी। वो ना ही कहानी को मज़े से पढ़ पा रहे थे, ना उन्हें समझ पा रहे थे।

उन्होंने सोचा की क्यों ना बच्चिया कहानियाँ पढ़ने के साथ-साथ उन्हें सुन भी सके? उन्होंने समझ बनायीं की बच्चियों के साथ रीड अलांग कर सकते है।  इसके लिए उन्होंने स्टोरीवीवर का इस्तेमाल किया क्यूँकि उसमे अलग-अलग स्तर की किताबें थी जिनसे बच्चे जुड़ सके । उन्हें यह लगा की रीड अलांग किताबों के होने से एक तो बच्चियों को अक्षर जोड़के शब्द पढ़ना आसान हो जायेगा और दूसरा, कहानी पढ़ने वालों की आवाज़ें उतार-चढ़ाव भरी है जिससे बच्चियों को ख़ूब मज़ा आएगा ।  

फिर उन्होंने ऐसी कहानियाँ चुनी जिनमे ज़्यादा लिखावट न हो और न कहानी ज़्यादा बड़ी हो । ऐसी कहानियाँ चुनी गयी जो मजेदार हो और जिनसे बच्चे आपने अनुभवों को जोड़ पाए । ऐसी ४ कहानियो को चुना गया -  

  1. सालाना बाल कटाई दिवस

  2. चूहा सिकंदर घर के अंदर

  3. कचड़े का बादल

  4. अक्कु हुई ग़ुस्सा  

प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करके बच्चो को यह चार कहानियाँ सुनाई और पढाई गयी | हर कहानी को शुरू करने से पहले बच्चियों को शीर्षक दिखाकर उनके विचार जानने का प्रयास किया गया - की उन्हें क्या लगता है क्या होगी कहानी मे ? प्रत्येक कहानी पे कुछ प्रश्न भी तैयार किये गए थे जिनमे से कुछ तो किताब से सीधे जुड़े थे और कुछ उनके अनुभवों से जुड़े थे ।  हर कहानी के बाद, बच्चों से कहानी के बारे में सवाल पूछे जाते हैं।

यह देखा गया कि सही प्रश्न पूछने से बच्चे वास्तव में तेजी से सीख सकते हैं। शिक्षक ये भी ध्यान रखते है कि प्रश्न सिर्फ़ सीधे-सीधे कहानियों से जुड़े न हो, बल्कि ऐसे भी हो जिनपर बच्चियों को सोचने का मौक़ा मिले।

बच्चियों को श्रिंगेरी श्रीनिवास की कहानी पढ़के खूब मज़ा आया, ख़ासकर जब श्रींगेरी श्रीनिवास के बाल उड़ जाते है |

i-सक्षम  कहानियो का प्रयोग करके न सिर्फ बच्चियों की साक्षरता के स्तर को  बढ़ने कि कोशिश कर रहे है,  पर यह भी कि बच्चिया बिना संकोच के अपने विचार अपने साथियो के साथ बाँट सके |

हमें उम्मीद है कि आप भी अपने बच्चो और छात्रों के साथ इस विधि का उपयोग प्रयोग  करेंगे | प्रथम बुक्स कि सारी रीड अलांग कहानियो आप यहाँ पढ़ सकते है |  

 

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